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जिसकी दीद को तरसी बरसो आंखे लगता कि जमाना बाद उस च

जिसकी दीद को तरसी बरसो आंखे
लगता कि जमाना बाद उस चाँद का दीदार 
होने वाला है
है इसका एहसास फिजाओं को भी है
तभी तो आज महकी महकी सी है
ए चाँद इस दफा हमें रुसवा न करना
वरना विखर जाऊंगा
जो हो गयी दीद मेरी समझो ईद हो गयी
कसम से निखर जाऊंगा
नाराज हो !
आओ न !मना लूंगा
हा आओ न!मना लूंगा

©ranjit Kumar rathour
  आओ न मना लूंगा

आओ न मना लूंगा #शायरी

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