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मौसम की तरह, क्यों बदल जाते हो। कभी हँसाते हो तो क

मौसम की तरह, क्यों बदल जाते हो।
कभी हँसाते हो तो कभी रुलाते हो।।
चंद लम्हों का दौर है इस जिंदगानी में।
फिर क्यों बेवजह, तुम सताते हो।।

©Shubham Bhardwaj
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