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गिर गिर कर,उठने की कोशिश,करता हूँ मैं वक़्त के थपे

गिर गिर कर,उठने की कोशिश,करता हूँ मैं
वक़्त के थपेड़ों से,  हर दिन, संभलता हूँ मैं

आएगा, जरुर एक दिन,मेरा भी ऐ जिन्दगी
समेटकर,फिर होंसला,घरसे निकलता हूँ मैं

©साहेब अलीगढ़ी  ।।।
  #गिर गिरकर उठने की कोशिश

#गिर गिरकर उठने की कोशिश #शायरी

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