नज़्म 👇 रात भर इश्क़ की पढ़ाई का क्या मतलब जो इक दिन इंतेहान में फेल होना ही था उन ख्वाबों का क्या वुजूद जो साथ में देखे जब हक़ीक़त में उनको सिर्फ टूटना ही था! हमने खंजरों के बीच से दिल निकाला था बे-निशां दिल पर निशां तो बनना ही था भीख की मुहब्बत से भले मौत चुनी हमने तेरे बाद इस आफताब को ढलना ही था उसके भी होश ठिकाने आ गये बाद हमारे हीरे को ठुकराके गये पत्थर मिलना ही था रह गये बस हम उनके यादों में ही जिन्दा एक वक्त था वो उसको तो बदलना ही था! रात-भर इश्क़ की पढ़ाई का क्या मतलब जो इक रोज़ इंतेहान में फेल होना ही था! कविराज अनुराग #नज्म़