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सुनी है डगर मुश्किल है सफ़र रात है गहरी फिर भी ख़

सुनी है डगर
मुश्किल है सफ़र 
रात है गहरी फिर भी
ख़ूबसूरत है समां
मंजिल है उसी 
डगर पर मेरी
है दिसम्बर का महीना 
ठंड का आलम 
कुहासों से भरी राहें 
दूर दिख रहा है मंज़िल 
कर रहे हैं अपने इंतज़ार

©Prabhat Kumar
  #प्रभात  लाइफ कोट्स
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Prabhat Kumar

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#प्रभात लाइफ कोट्स

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