ग़ज़ल :- प्राण प्यारी तुम्हीं हो बताता नहीं । प्यार दिल में छुपा है जताता नहीं ।।१ हाथ तेरा कभी प्रेम से थाम लूँ । वक्त ऐसा कभी पास आता नहीं ।।२ होंठ सुर्खी तुम्हारी लिए जाँ रही । देख जिसको मैं दिल थाम पाता नहीं ।।३ मस्त आँखों से ऐसा पिलाया हमें । होश आया भी तो होश आता नहीं ।।४ हो गई जब कभी तू तू मैं मैं यहाँ । बात दिल में कभी वह बिठाता नहीं ।।५ सात फेरे हमारे तुम्हारे पड़े । बोसा फिर भी कभी माँग पाता नहीं ।।६ लाख साड़ी तुम्हारे लिए ला रखी । पर कभी तू पहन कर दिखाता नहीं ।।७ चाँद शरमाँ न जाए तुम्हें देखकर । इसलिए आज घूंघट उठाता नहीं ।।८ जी इसी बात से है प्रखर का जला । तू हमीं पर कभी हक जताता नहीं ।।९ १२/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्राण प्यारी तुम्हीं हो बताता नहीं । प्यार दिल में छुपा है जताता नहीं ।।१ हाथ तेरा कभी प्रेम से थाम लूँ । वक्त ऐसा कभी पास आता नहीं ।।२