तुझे मैंने पूजा की है भगवान की तरहे। मैंने खाई, कसमें है अनजान की तरहे क्या पुरा कर सकूंगा- मैं ? आसमान की तरहे। मैंने की, दोस्ती है नादान की तरहे दे दी है तुझे- "डोर"जिन्दगी की कोचवान की तरहे। मैंने ख्वाइश की बहते रहने की जलयान की तरहे। मैंने कोशिश की है अपने को बनाने की अभियान की तरहे। आंसू फिर निकल पड़े मुसलाधार की तरहे। 🖋 पंकज सिन्हा तुझे मैंने