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पक्का पता है, जाने के लिए कहीं निकले थे हम, किसी द

पक्का पता है,
जाने के लिए कहीं निकले थे हम,
किसी दिलकश सी लगने वाली सदाओं ने
रोका हमे,
और रास्ते पर ही अपना घर बना लिए
पक्का पता है,
जाने के लिए कहीं निकले थे हम
और हम रास्ते पर अपना घर बना लिए।

©Prashant Roy
  #Past #poem #poemsoftheday #WayOfLife #Distraction #कहीं पहुंचने को IshQपरस्त Rakesh Srivastava gaTTubaba it'sficklemoonlight Rahul Bhardwaj