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तुम्हारी याद आती है, करूं क्या मेरे परदेसी। भुलाना

तुम्हारी याद आती है, करूं क्या मेरे परदेसी।
भुलाना जितना चाहूं मैं, हो आते याद परदेसी।

न जीता हूं , न मरता हूं , न हंसता हूं न रोता हूं।
गया है चैन ऐसा के, न जगता हूं न सोता हूं।
करूं दीदार कैसे मैं ,बता दो मेरे परदेसी।  
करूं क्या मेरे परदेसी...2।

तड़पते दिन क्या बीतेंगे, सिसकती रातें क्या होगी।
क्या दिल मायूस ही होगा, क्या अब आंखे भी तरसेगी।
कटे ना एक पल तुम बिन, करूं क्या मेरे परदेसी।

©नागेंद्र किशोर सिंह
  तुम्हारी याद आती है...।

तुम्हारी याद आती है...। #शायरी

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