शीर्षक - "समय चक्र"। वो भी क्या बचपन था, जब हम दोस्त के घर जाते ओर, तब उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता था, आज तो दोस्त गली में देखकर भी बाहर नहीं आते, प्यार और धोखा अब सस्ते से हो गए हैं, स्वार्थ के बिना कोई करता नहीं, और धोखे के बिना कोई छोड़ता नहीं, कैसे हो पायेगी सच्चे झूठे की पहचान दोनों ही नक़ली हो गए हैं आंसू ओर मुस्कान।। ©Navin Charpota #टाइम #समय_समय_की_बात_है #चाइल्डहुड #बचपन_की_यादें #toyheart