कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में, जरा सा सुराख आज भी है। सुख गयी आंखे मगर तलब तुम्हारे इंतजार का आज भी है। कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में, जरा सा सुराख आज भी है। सुख गयी आंखे मगर तलब तुम्हारे इंतजार का आज भी है। #poem #Shayar #SAD #mbatales