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कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में, जरा सा सुराख आज भी

कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में,
जरा सा सुराख आज भी है।
सुख गयी आंखे मगर तलब
तुम्हारे इंतजार का आज भी है। कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में,
जरा सा सुराख आज भी है।
सुख गयी आंखे मगर तलब
तुम्हारे इंतजार का आज भी है।
#poem 
#Shayar 
#SAD 
#mbatales
कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में,
जरा सा सुराख आज भी है।
सुख गयी आंखे मगर तलब
तुम्हारे इंतजार का आज भी है। कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में,
जरा सा सुराख आज भी है।
सुख गयी आंखे मगर तलब
तुम्हारे इंतजार का आज भी है।
#poem 
#Shayar 
#SAD 
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कैद पड़े अरमानों के पिंजरे में, जरा सा सुराख आज भी है। सुख गयी आंखे मगर तलब तुम्हारे इंतजार का आज भी है। #poem #Shayar #SAD #mbatales #reading #शायरी