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किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है। वह अपने घर क

किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है।
वह अपने घर का मुझको मेहताब  लगती है।

तमाम कोशिश करती है कुछ नया पन लाये।
वह अपने आज - कल का हिसाब लगती है।

मोहब्बत से ख़ुद को कोशों  दूर रखा  उसने।
वह लेकिन मुझको चाहत ए रुआब लगती है।

यूँ तो लड़की होने का  अफ़सोस है  उसको।
लेकिन इरादों से  अपने आफ़ताब लगती है।

बेताब दिल चाहता है कुछ पल हों सुकून के!
पंछी' कामना जैसे नदी का बहाब  लगती है। किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है।
वह अपने घर का मुझको मेहताब  लगती है।

तमाम कोशिश करती है कुछ नया पन लाये।
वह अपने आज - कल का हिसाब लगती है।

मोहब्बत से ख़ुद को कोसों  दूर रखा  उसने।
वह लेकिन मुझको चाहत ए रुआब लगती है।
किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है।
वह अपने घर का मुझको मेहताब  लगती है।

तमाम कोशिश करती है कुछ नया पन लाये।
वह अपने आज - कल का हिसाब लगती है।

मोहब्बत से ख़ुद को कोशों  दूर रखा  उसने।
वह लेकिन मुझको चाहत ए रुआब लगती है।

यूँ तो लड़की होने का  अफ़सोस है  उसको।
लेकिन इरादों से  अपने आफ़ताब लगती है।

बेताब दिल चाहता है कुछ पल हों सुकून के!
पंछी' कामना जैसे नदी का बहाब  लगती है। किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है।
वह अपने घर का मुझको मेहताब  लगती है।

तमाम कोशिश करती है कुछ नया पन लाये।
वह अपने आज - कल का हिसाब लगती है।

मोहब्बत से ख़ुद को कोसों  दूर रखा  उसने।
वह लेकिन मुझको चाहत ए रुआब लगती है।

किसी की उम्मीद किसी का ख़्वाब लगती है। वह अपने घर का मुझको मेहताब लगती है। तमाम कोशिश करती है कुछ नया पन लाये। वह अपने आज - कल का हिसाब लगती है। मोहब्बत से ख़ुद को कोसों दूर रखा उसने। वह लेकिन मुझको चाहत ए रुआब लगती है। #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #मुख्यप्रतियोगिता #बेताबदिल #KKC1083 #पाठकपुराण