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सवाल चाहे मिलने का हो या बिछड़ने का हर मुकाम पर क


सवाल चाहे मिलने का हो या बिछड़ने का
हर मुकाम पर कहीं रोई जाती है मोहब्बत।

मोहब्बत पाने की सौ साजिशें होती रही हैं
किसी झूठे के पल्ले खोई जाती है मोहब्बत।

चांद और चांदनी-सा किया जाता है इश्क़
सपनों के तारों से पिरोई जाती है मोहब्बत।

किसी रात मिल जाए इश्क़ का दामन तो
बेखबर जहान से, सोई जाती है मोहब्बत।

©Gazal Shayri creater
  

#जमाने की रंजिशों से ढोई जाती है मोहब्बत

#जमाने की रंजिशों से ढोई जाती है मोहब्बत #शायरी

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