मन्दिर गए थे मिलने भगवान से मिल के आ गए हम इन्सान से कोई ग़म तेरा कैसे ख़त्म हो सकेगा इल्तिज़ा की भी तो तूने इन्सान से वो देख रहा था तुझको बड़े प्यार से तेरा ही ध्यान लगा रहा इन्सान पे बस हुजूम ही था कुछ अलबेलों का इन्सान भी कहाँ मौजूद था इनसान में मेला...