2122 2122 2122 212 हर्फ़ों की बारिश हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी आई अब रुत भी नई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी दफ़्न हैं अपनों के सारे राज़ सीने में मिरे बात दिल में ही दबी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी दर्द सारे ही सभी मैंने उकेरे ग़ज़लों में अब क़ज़ा मुझको मिली है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी आग चारों और फैली मेरी तन्हा ज़ीस्त में ज़िन्दगी भी आतिशी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी इल्म मुझको ग़ज़लों का जिसने दिया वो है कहाँ बज़्म में उसकी कमी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी ख़िलते इक ही शाख़ से क्यों काँटे भी और गुल सदा गर समझनी ज़िन्दगी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी मेरा सब कुछ ही लुटा है इस "सफ़र" के दरमियाँ रात ग़म की फिर हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी ग़ज़ल 21/2022 #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #gazal #love #philosophy #sad ashish malik Rakesh Chawla ᕼα𝐲Ã卂t uSM𝓐Ⓝ