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दुनिया की सच्चाई समझ ले, कुछ भी नहीं स्थायी समझ

दुनिया की  सच्चाई  समझ ले, 
कुछ भी नहीं स्थायी समझ ले,

प्रेम   और  अपनापन  गायब, 
भाई से लड़ता भाई समझ ले,

अपने-अपने   में   गुम   सारे,
भीड़ में भी  तन्हाई समझ ले,

फिसलन  भरी  राह  बर्फीली, 
लगी  बर्फ में  काई  समझ ले,

सह न सके औलाद की पीड़ा, 
माँ का दिलअच्छाई समझ ले,

धर्म की राह  छोड़कर  भटके, 
आयेगा  फिर  खाई समझ ले,

करके फिर पछताओगे 'गुंजन',
इश्क बड़ा  हरजाई  समझ ले,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #दुनिया की सच्चाई#
दुनिया की  सच्चाई  समझ ले, 
कुछ भी नहीं स्थायी समझ ले,

प्रेम   और  अपनापन  गायब, 
भाई से लड़ता भाई समझ ले,

अपने-अपने   में   गुम   सारे,
भीड़ में भी  तन्हाई समझ ले,

फिसलन  भरी  राह  बर्फीली, 
लगी  बर्फ में  काई  समझ ले,

सह न सके औलाद की पीड़ा, 
माँ का दिलअच्छाई समझ ले,

धर्म की राह  छोड़कर  भटके, 
आयेगा  फिर  खाई समझ ले,

करके फिर पछताओगे 'गुंजन',
इश्क बड़ा  हरजाई  समझ ले,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
          चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #दुनिया की सच्चाई#