इच्छाधारी इंसान गिरगिट हो कर रंग है बदला, पंछी बन पाया अभिमान, फिर भी न रह सका है बिल में, यह इच्छाधारी इंसान... यह इच्छाधारी इंसान... देख किसीके वैभव को, बस जलता रहता है वो, बना साँप इस भाँति है,