डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं प्रवीण माटी ©parveen mati डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं प्रवीण माटी #VantinesDay