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डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता थ

डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था
 पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे
अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह
 जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं

प्रवीण माटी

©parveen mati डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे
अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह
 जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं

प्रवीण माटी
#VantinesDay
डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था
 पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे
अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह
 जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं

प्रवीण माटी

©parveen mati डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे
अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह
 जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं

प्रवीण माटी
#VantinesDay
mati9021197859280

parveen mati

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डाकखाने में चिट्ठियों का भी अपना एक अलग शहर होता था पन्ने पढ़ते पढ़ते लोग जुड़ जाते थे अब बैंक के नोटिस पड़े हैं डाकखाने में खंडहर की तरह जो लोगों को जोड़ते नहीं तोड़ते हैं प्रवीण माटी #VantinesDay #ज़िन्दगी