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कभी- कभी जाने क्यों ऐसा लगता है, जैसे मन दुखी है,

कभी- कभी जाने क्यों ऐसा लगता है, 
जैसे मन दुखी है,
पर वजह समझ नहीं आता,
हजारों सवाल तो होते हैं मन में, 
पर यार, जवाब ही नज़र नहीं आता।।

खुशियों का कारवां, अपने साथ कई,
गम की गठरी भी लेके चलता हैll 

पता नहीं भ्रम है या, 
आने वाला कोई turn है,
मिलता वही है अंत में,
जैसे होते हैं मनुष्य के कर्म हैंll

सिर्फ ख्वाइशों से घर नहीं चला करते,
मुद्दातें खुदा, 
कर्म हाथों को करना होता है,
और मंजिल तक पैरों को ही दौड़ना पड़ता है।।

©Kirti Pandey
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