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ग़ज़ल कौन कहता की करते नही है सफ़र । आप मानें तो ये

ग़ज़ल

कौन कहता की करते नही है सफ़र ।
आप मानें तो ये ज़िन्दगी है सफ़र ।।
आज इर्धन सी साँसे मिली हैं तुझे 
गर सँभाले इसे तो यही है सफ़र ।।
वो जो कहते थे मंजिल कदम चूमती ।
फिर उन्हें ठोकरें मारती है सफ़र ।।
कर्म करके बढ़े जो डगर की तरफ ।
मानिए सच यही बन्दगी है सफ़र ।।
आप मुझसे खफ़ा हम सभी से खफ़ा ।
आज सबकी यही बेबसी है सफ़र ।।
सुख कहीं भी किसी से नहीं है मिला ।
आज सबकी नज़र ताड़ती है सफ़र ।।
दे गई वो दगा आज करके वफ़ा ।
प्यार का आज ये आखिरी है सफ़र ।।
दर्द देके सितमगर अदालत गया ।
छोड़ ये कह दिया औ बाकी है सफ़र ।।
प्यास लेकर गया था प्रखर पास मे ।
और उसने कहा आखिरी है सफ़र ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल

कौन कहता की करते नही है सफ़र ।

आप मानें तो ये ज़िन्दगी है सफ़र ।।


आज इर्धन सी साँसे मिली हैं तुझे 
ग़ज़ल

कौन कहता की करते नही है सफ़र ।
आप मानें तो ये ज़िन्दगी है सफ़र ।।
आज इर्धन सी साँसे मिली हैं तुझे 
गर सँभाले इसे तो यही है सफ़र ।।
वो जो कहते थे मंजिल कदम चूमती ।
फिर उन्हें ठोकरें मारती है सफ़र ।।
कर्म करके बढ़े जो डगर की तरफ ।
मानिए सच यही बन्दगी है सफ़र ।।
आप मुझसे खफ़ा हम सभी से खफ़ा ।
आज सबकी यही बेबसी है सफ़र ।।
सुख कहीं भी किसी से नहीं है मिला ।
आज सबकी नज़र ताड़ती है सफ़र ।।
दे गई वो दगा आज करके वफ़ा ।
प्यार का आज ये आखिरी है सफ़र ।।
दर्द देके सितमगर अदालत गया ।
छोड़ ये कह दिया औ बाकी है सफ़र ।।
प्यास लेकर गया था प्रखर पास मे ।
और उसने कहा आखिरी है सफ़र ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल

कौन कहता की करते नही है सफ़र ।

आप मानें तो ये ज़िन्दगी है सफ़र ।।


आज इर्धन सी साँसे मिली हैं तुझे 

ग़ज़ल कौन कहता की करते नही है सफ़र । आप मानें तो ये ज़िन्दगी है सफ़र ।। आज इर्धन सी साँसे मिली हैं तुझे  #शायरी