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संस्कृति भी उधार चाहिए।। सिंधू को भी आज घुटन सी ह

संस्कृति भी उधार चाहिए।।

सिंधू को भी आज घुटन सी होती है।गंगा भी स्मृतियों में बैठ देखो रोती है।।निज संतानों की भ्रमित मुद्रा,न मिटने वाली स्वार्थ क्षुधा।
इस पल कहीं उस पल कहीं, दिग्भ्रमित पथ,सत्य है सत्य नही, जो बचा है वो है कथित सत्य।स्वयं के होने में ही भ्रम का होता बोध है,
अब तो इन्हें कृति भी उधार चाहिए।।निस्तेज स्वर, भावनाएं भी खोखली,पूरब रहा पूरब नही, पश्चिम की हवा जो चली।मनुज मशीनों में खोया, या मशीने ही इंसान हैं,वाणी ने आपा खोया, मानो होंठों पे सजी कमान है।अपनापन का बोध भी, अपनो से अबोध हुआ,हम की बातों पे, अब क्षोभ और क्रोध हुआ।वाणी चंचल से अब चपल हुई,अब तो इन्हें मनोवृति भी उधर चाहिए।।कलम गुलामी करने लगी, शब्द भी मृतप्राय है,मनुज रहा मनुज नही, बस भीड़ का पर्याय है।संकुचित से विचार है, अभिव्यक्ति भी पाबंद है,
हर बोल के पीछे छुपा, मतलब भी अनंत है।चिढ़ाते हैं स्वप्न भी बन विदूषक यहां,कबीर भी बैठा है बन मूक यहां।समय को खुद संग चलाना हमे है,क्या अभी भी स्मृति उधार चाहिए।।

रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote संस्कृति भी उधार चाहिए।। #NojotoVoice #thought #shayri #fun #love #poem #comedy #meme #nojoto #nojotohumour #nojotomeme #nojotofun #kalakaksh #znmd #TST 
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संस्कृति भी उधार चाहिए।।

सिंधू को भी आज घुटन सी होती है।गंगा भी स्मृतियों में बैठ देखो रोती है।।निज संतानों की भ्रमित मुद्रा,न मिटने वाली स्वार्थ क्षुधा।
इस पल कहीं उस पल कहीं, दिग्भ्रमित पथ,सत्य है सत्य नही, जो बचा है वो है कथित सत्य।स्वयं के होने में ही भ्रम का होता बोध है,
अब तो इन्हें कृति भी उधार चाहिए।।निस्तेज स्वर, भावनाएं भी खोखली,पूरब रहा पूरब नही, पश्चिम की हवा जो चली।मनुज मशीनों में खोया, या मशीने ही इंसान हैं,वाणी ने आपा खोया, मानो होंठों पे सजी कमान है।अपनापन का बोध भी, अपनो से अबोध हुआ,हम की बातों पे, अब क्षोभ और क्रोध हुआ।वाणी चंचल से अब चपल हुई,अब तो इन्हें मनोवृति भी उधर चाहिए।।कलम गुलामी करने लगी, शब्द भी मृतप्राय है,मनुज रहा मनुज नही, बस भीड़ का पर्याय है।संकुचित से विचार है, अभिव्यक्ति भी पाबंद है,
हर बोल के पीछे छुपा, मतलब भी अनंत है।चिढ़ाते हैं स्वप्न भी बन विदूषक यहां,कबीर भी बैठा है बन मूक यहां।समय को खुद संग चलाना हमे है,क्या अभी भी स्मृति उधार चाहिए।।

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