ना होगी कोई आरज़ू पूरी बग़ैर तेरे ना कर पाऊँगा ज़िंदगी से फ़रेब तेरे मुकम्मल लफ्ज़ अधूरा है तुम बिन जैसे चाँद भी अधूरा चाँदनी के बिन रात करती 'सफ़र' सवेरे के लिए है मेरे ख़्वाब करते 'सफ़र' तेरे लिए है एहसास की कहानी है सूनी बिन तेरे 'प्रेम' की कल्पना अधूरी है बिन तेरे नवाज़ा ख़ुदा ने रहमत से अपनी मुझे बेकार यह मेरी 'जिंदगानी' है बिन तेरे ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।