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Krish Vj
ना होगी कोई आरज़ू पूरी बग़ैर तेरे ना कर पाऊँगा ज़िंदगी से फ़रेब तेरे मुकम्मल लफ्ज़ अधूरा है तुम बिन जैसे चाँद भी अधूरा चाँदनी के बिन रात करती 'सफ़र' सवेरे के लिए है मेरे ख़्वाब करते 'सफ़र' तेरे लिए है एहसास की कहानी है सूनी बिन तेरे 'प्रेम' की कल्पना अधूरी है बिन तेरे नवाज़ा ख़ुदा ने रहमत से अपनी मुझे बेकार यह मेरी 'जिंदगानी' है बिन तेरे ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Rabindra Kumar Ram
" तेरे बग़ैर उन रातों का क्या होगा , जो चश्म-ए-दीद हैं अब उन ख़्वाबों का क्या होगा , बात की बात हैं उन इरादों का क्या होगा , कुर्बत बा-मुश्किल हैं तेरे बग़ैर फिर उन जंद सासों का क्या होगा . " --- रबिन्द्र राम " तेरे बग़ैर उन रातों का क्या होगा , जो चश्म-ए-दीद हैं अब उन ख़्वाबों का क्या होगा , बात की बात हैं उन इरादों का क्या होगा , कुर्बत बा-मुश्किल हैं तेरे बग़ैर फिर उन जंद सासों का क्या होगा . " --- रबिन्द्र राम #रातों #चश्मेदिद #ख़्वाबों #इरादों
Nitesh Prajapati
जिंदगी में इत्तेफ़ाक से मिले हम, कुछ लम्हें साथ मेें गुज़ारे, कुछ गुफ़्तगू हुई, प्यार हुआ, जिंदगी साथ निभाने का वादा हुआ, पर कुदरत को शायद यह मंजूर नहीं था, बात आगे बढ़े उससे पहेले ही, दो दिल और एक धड़कन जुदा हो गये, ना चाहकर भी कुदरत ने हमें, तोल दिया तन्हाई के तराजू मे, तेरे बग़ैर, यह दौलत और यह शोहरत किस काम की, जब तक तुम थे यह दिल सदाबहार था, वीराना भी हमें सुहाना लगता था, तन्हाइयों का खंडहर भी हमें महल लगता था, तेरे संग था तो दिन गुलजार था, अकेले दिन बेज़ार सा लगता है, जब तक तुम थी चेहरे पर एक खुशी थी, तेरे जाने के बाद एक मायूसी ही छाई है, तेरे बग़ैर यह जन्नत भी जहन्नुम सी लगे मुझे, तेरे बगैर जीना जैसे जीते जी मरना ही है। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Nazar Biswas
तेरे बग़ैर अब कुछ भी पहले सा न हो पायेगा, सावन आएगा पर मन को लुभा न पायेगा। रुत बदलेगी पर मेरा मन न बहलायेंगी, बाद-ए -सबा में दिल सुकूँ-ए-करार न पायेगा। नगमा प्रेम का ये ज़माना गुनगुनाएगा बेशक़, मेरे दिल से गुज़र कर सब बेअसर हो जायेगा। न सूरत देख किसी की इठलाएगी फ़िर नज़र, प्यार भरा दिल मेरा फ़िर पत्थर हो जायेगा। बिख़री ज़ुल्फ़े मेरी समेटेगा फ़िर कौन भला? बिख़री ज़ुल्फ़े,बिखरा जीवन बिखरा रह जायेगा। ज़मीं ही ज़मीं रह जाएगी हिस्से में मेरे, खुले आसमां से राब्ता मेरा ख़ो जायेगा। मुझे आएगा फ़िर कौन ढूँढने बग़ैर तेरे? नाम-ओ-निशां भी मेरा ख़ाक में मिल जायेगा। ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Anita Saini
क्या कहें उस दिल फ़रेब को जिसे अपने भी लगने लगे ग़ैर! ये ना समझना मर जाएँगे हम ज़िंदा लाश नहीं बनेंगे तेरे बग़ैर! साँसों का कारवाँ चलता रहता है मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर! तेरे चले जाने का क्या ग़म करूँ जो हुआ सो हुआ ख़ुदाया ख़ैर! बीती बातें भूल आगे बढ़ गए हम गिले शिकवे ख़त्म! क्यूँ रखना बैर! इतना तो तय है बहुत याद आएँगे पछताओगे वो अलग बात है ख़ैर! क्या कहें उस दिल फ़रेब को जिसे अपने भी लगने लगे ग़ैर! ये ना समझना मर जाएँगे हम ज़िंदा लाश नहीं बनेंगे तेरे बग़ैर! साँसों का कारवाँ चलता रहता है मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर!
Dr Upama Singh
एक उम्र तेरे बग़ैर गुजारनी है और एक पल तेरे बग़ैर गुजरता नहीं तेरे बग़ैर ज़िन्दगी वीरान सी लगती है तेरे वजूद से ही मेरे बागबान में रौनक सारी ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Divyanshu Pathak
तन्हाई में डूब गई हर सुबह शाम बोझिल होकर। रुसवाई रिसती केवल आँखों से ओझल होकर। राह ताकती रहती हूँ मैं दरवाज़े पर ख़डी खड़ी! मिलने मुझसे आओगे यार कभी विह्वल होकर। तेरे बग़ैर ओ साजन रे साँसें भी साथ नहीं देतीं। मन सूना सा रहता मेरा बातें एहसास नहीं देतीं। क़तरा क़तरा बंट जाती हूँ मैं विरहन की पीड़ा में! रह जाती हूँ मैं केवल एक परछाई धूमिल होकर। तन्हाई में डूब गई हर सुबह शाम बोझिल होकर। रुसवाई रिसती केवल आँखों से ओझल होकर। राह ताकती रहती हूँ मैं दरवाज़े पर ख़डी खड़ी! मिलने मुझसे आओगे यार कभी विह्वल होकर। तेरे बग़ैर ओ साजन रे साँसें भी साथ नहीं देतीं। मन सूना सा रहता मेरा बातें एहसास नहीं देतीं। क़तरा क़तरा बंट जाती हूँ मैं विरहन की पीड़ा में!
अभिलाष सोनी
मेरी आँखों में तेरे इंतज़ार का मंज़र आज भी है। यकीन कर मुझपे, मुझे तुझसे प्यार आज भी है। साँझ सबेरे तेरे इंतज़ार में तकती मेरी ये निगाहें। तेरे दरस को प्यासी उतनी ही बेक़रार आज भी हैं। तुझ संग बीती यादों से दिल खुशगवार आज भी है। उन लम्हों से दिल में ख़ुशियों की बयार आज भी है। तेरे बग़ैर ज़िंदगी जीने की मैं सोच भी नहीं सकती। तेरी चाहत का नशा, इश्क़ का खुमार आज भी है। तुझसे जो लगन लगी है, उसका प्रसार आज भी है। मेरी चेहरे की हँसी, तू दिल का क़रार आज भी है। तेरे बग़ैर तो अब साँसें लेना भी मुमकिन नहीं लगता। रहती हूँ मैं हरपल बेचैन, क्यूँ ये खुमार आज भी है। ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे बगैर जिंदगी जीने की कभी सोचा ही नहीं, तू ही तो मेरी जिंदगी है दूसरा कोई और नहीं। तेरे वास्ते ही तो हम इस दुनियाँ से लड़ जायेंगे, तुझसे ही प्यार किया है मैंने कोई सौदा तो नहीं। तू ही मेरी चाहत है और तुझे ही चाहत बनाएंगे, तू मेरी जिंदगी है तेरे बगैर ये जिंदगी जिंदगी नहीं। ♥️ Challenge-759 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Rabindra Kumar Ram
" तेरे बग़ैर उन रातों का क्या होगा , जो चश्म-ए-दीद हैं अब उन ख़्वाबों का क्या होगा , बात की बात हैं उन इरादों का क्या होगा , कुर्बत बा-मुश्किल हैं तेरे बग़ैर फिर उन जंद सासों का क्या होगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तेरे बग़ैर उन रातों का क्या होगा , जो चश्मेदिद हैं अब उन ख़्वाबों का क्या होगा , बात की बात हैं उन इरादों का क्या होगा , कुर्बत वामुशकील हैं तेरे बग़ैर फिर उन जंद सासों का क्या होगा . " --- रबिन्द्र राम #रातों #चश्मेदिद #ख़्वाबों #इरादों