हाल दिल का तू सुना ए ज़िन्दगी । हम हुए तुझपे फ़िदा ए ज़िन्दगी ।।१ है बता क्या अब खता ए ज़िन्दगी । दे रही जो अब सजा ए ज़िन्दगी ।।२ जो नही पहचानतें इसको यहाँ । है लिखा करती दगा ए ज़िंदगी ।।३ वक्त की पहचान कर तू हमनशीं । शाम गम की फिर मना ए ज़िन्दगी ।।४ मर रहे बेमौत जख़्मी दिल लिए । तू दिला मरहम नया ए ज़िन्दगी ।।५ खो गया जो यार अब इस भीड़ में । तू उसी से अब मिला ए ज़िन्दगी ।।६ खत लिखा है नाम से उसके अभी । तू उसी को जा सुना ए ज़िन्दगी ।।७ कर रहा उससे वफ़ा मैं आज भी । दूरियां तू औ बना ए ज़िन्दगी ।।८ है प्रखर में साँस जब तक आखिरी । चाहतें उसकी दवा ए ज़िन्दगी ।।९ २८/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हाल दिल का तू सुना ए ज़िन्दगी । हम हुए तुझपे फ़िदा ए ज़िन्दगी ।।१ है बता क्या अब खता ए ज़िन्दगी । दे रही जो अब सजा ए ज़िन्दगी ।।२ जो नही पहचानतें इसको यहाँ । है लिखा करती दगा ए ज़िंदगी ।।३