तेरी क्या पहचान है तू टूटा हुआ वो डाल है जिसका वृक्ष हिंदुस्तान है तू ना भूल हिंदुस्तान से जन्मा एक छोटा पकिस्तान है बाप के सामने बेटे की तू ही सोच क्या अवकात है तू नापाक जमी पे जन्मा एक छोटा सा मकान है तेरी क्या हस्ती जो हमसे भिड़े तू बुझ्दिल दिल का एक बड़ा दूकान है जब पीठ पे वॉर हुआ वहाँ तेरा ही नाम है तू कायरता का एक बड़ा जहाँ में मिशाल है हर देश के दिल में नफ़रत तुझसे तू ऐसा मेहमान है तेरी क्या पहचान है तू टूटा हुआ वो डाल है जिसका वृक्ष हिंदुस्तान है तू ना भूल हिंदुस्तान से जन्मा एक छोटा पकिस्तान है बाप के सामने बेटे की तू ही सोच क्या अवकात है तू नापाक जमी पे जन्मा