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उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लि

उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है,
उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है।
गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, 
पर वो सदा महफूज़ मेरे तन-मन में है।
                           -शैलेन्द्र

©HINDI SAHITYA SAGAR
  उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है,
उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है।
गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, 
पर वो सदा महफूज़ मेरे तन-मन में है।
                           -शैलेन्द्र

उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है। गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, पर वो सदा महफूज़ मेरे तन-मन में है। -शैलेन्द्र #शायरी

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