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मेरी कलम से , निकले अल्फाज़ , जैसे कोई साज़ , बनूँ

मेरी कलम से ,
निकले अल्फाज़ ,
जैसे कोई साज़ ,
बनूँ मैं शायर ,
जैसे हो फराज़। 
मेरी कलम से ,
थम जाए नब्ज़, 
चाहे हो सब्ज़, 
लिखू़ँ मैं एसे, 
बन जाऊँ दब्ज़। 
मेरी कलम से, 
बहे जज़्बात, 
दिन हो या रात, 
ख़ामोश हो लब, 
दिल करे बात।

©Shaheen Jameel
  Meri kalam se.. 


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