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वो गुल, किसी अपने के मयस्सर ना होने से मायूस है।

वो गुल,
किसी अपने के
 मयस्सर ना होने से मायूस है।
जो पास आए, चहक उठेगा।

कुछ देर हुआ
और आफताब हुआ।
खिल उठा वो मायूस जान।

भूल गया था,
वो इंसान नहीं।
खुशियां उनकी,
दूसरों के साथ की 
मोहताज नहीं।

©Rudeb Gayen
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