उसके कंगन खनकते है, सुरमयी आवाज़ मन को सुकून पहुँचाती है नाच उठता है मन का मयूर मेरा, मेरे शिथिल दिल को यह धड़काती है लिबास ओढ़कर सादगी का, दुल्हन बन कर वो जो ज़िंदगी में आती है मन मेें उपजा विरह सागर सूख जाता, सावन बन मन को हरसाती है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1039 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।