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यूँ दर्प भरा दुर्जन में शांत खड़ा सज्जन है सज्जन



यूँ दर्प भरा दुर्जन में शांत खड़ा सज्जन है
सज्जन आया कर के दुर्गुण का भंजन है।

जो बलशाली वह काली भय से दूर रहे,
बुद्धिबली मानवता की मय में चूर रहे,
शांति सदा मोल करो श्रेष्ठ बड़ा बोल करो,
शीतलता में  हम ढूढ़े, अपना रंजन हैं

संचित सामर्थ्य करो शक्ति रखो रोक नहीं.
हृदय में बैर छिपा पीठ छुरी भोक नहीं,
भावबली तो शुभ सच्चा मन में भाव भरे
बेल लता भू फुलवारी भंवरे का गूँजन है.

झूठ कहे देख मुझे शास्वत हूँ साख हरा.
लाख जला सत्य बली किंतु रहा राख खरा,
आत्म बली प्रेम दया का रखता है साथ छड़ी,
भाग्य बली संकट का डाल रहा अंजन है.

©V. Aaraadhyaa
  #दुर्जन SAD