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किसी संगीत से कम नहीं अपनी मुहब्बत,, वो बात अलग है

किसी संगीत से कम नहीं अपनी मुहब्बत,,
वो बात अलग है किसी किताबों में नहीं,,
हां बातें जरूर होती हैं मुहल्ले में अपनी,,
ये खुशबू है ऐसी जो बगीचों में भी नहीं,,
तुम आते ही क्यों चली जाती हो अक्सर,,
कह दो एक बार तुम्हें मेरी जरूरत ही नहीं,,
हम मिलते हैं तो कैसे देखती है ये दुनिया,,
जलती है हमसे जल्दी बिछड़ते क्यों नहीं,,
रोज झगड़े है आजकल लग गई है नजर,,
अपना मिलना शायद किसी को पसंद ही नहीं,,

©Vickram
  #mastmagan तुम मिलती क्यों नहीं,,
vickram4195

Vickram

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#mastmagan तुम मिलती क्यों नहीं,, #शायरी

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