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दो दिन से गये परदेश वो क्या,परदेश कि बाते करते ह



दो दिन से गये परदेश वो क्या,परदेश कि बाते करते हैं
गाँवों कि मिठी बातों को,जाहिल कि बातें कहते हैं
दो दिन से..............
बरगद का बुढ़ा पेड़ उन्हे,आवाज हमेशा देता है 
 और वो कितने बेदर्दी हैं,इस पेड़ का सौदा करते हैं
दो दिन से.............
 माँ भी अब तो निश्तेज हुई,बीबी कि शानो शौकत मे
जिस माँ के बिन ना रहते थे,अब उससे बच के रहते हैं
दो दिन ..............
बाबा के कन्धे पे अक्सर,वो मेले घुमा करते थे
बापू कि उंगली पकड़ पकड़़ ,वो गिरते और सम्भलते थे
अब बापू गिरते चलते हैं,हैं ऊनको इसका भान नही
बापू को देखके वो अक्सर,नजरों को चुराया करते हैं
दो दिन से .........   ..
      राजीव

©samandar Speaks
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