Nojoto: Largest Storytelling Platform

आसूदगी को ऐसे बुलाना पड़ा मुझे पर्दा

आसूदगी    को    ऐसे     बुलाना   पड़ा   मुझे
पर्दा   तुम्हारे   रुख़   से    हटाना   पड़ा   मुझे

जज़्बात-ओ-जोश आतिश-ए-सय्याल बन गए
तिश्ना   लबों  से  इनको   बुझाना   पड़ा   मुझे

दामन   में   उसके   चाँद  सितारे  सजाने  को
अम्बर को  भी  ज़मीं पे  झुकाना   पड़ा   मुझे

गुलशन  में  ये  महक  नहीं  ऐसे  हि  छा  गई
मुरझा  गई  कली  को   खिलाना   पड़ा   मुझे

अख़्तर  का  हौसला  कहीं  तारीक  पड़ गया
सूरज को  फिर से  सर पे सजाना  पड़ा   मुझे 221 2121 1221 212
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
-------------------------------------
आसूदगी= सुकून, इतमिनान, ख़ुशी
आतिश-ए-सय्याल= लावा
तिश्ना= प्यासे
अम्बर= आसमान
तारीक= अंधेरा हो जाना, गुम हो जाना
आसूदगी    को    ऐसे     बुलाना   पड़ा   मुझे
पर्दा   तुम्हारे   रुख़   से    हटाना   पड़ा   मुझे

जज़्बात-ओ-जोश आतिश-ए-सय्याल बन गए
तिश्ना   लबों  से  इनको   बुझाना   पड़ा   मुझे

दामन   में   उसके   चाँद  सितारे  सजाने  को
अम्बर को  भी  ज़मीं पे  झुकाना   पड़ा   मुझे

गुलशन  में  ये  महक  नहीं  ऐसे  हि  छा  गई
मुरझा  गई  कली  को   खिलाना   पड़ा   मुझे

अख़्तर  का  हौसला  कहीं  तारीक  पड़ गया
सूरज को  फिर से  सर पे सजाना  पड़ा   मुझे 221 2121 1221 212
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
-------------------------------------
आसूदगी= सुकून, इतमिनान, ख़ुशी
आतिश-ए-सय्याल= लावा
तिश्ना= प्यासे
अम्बर= आसमान
तारीक= अंधेरा हो जाना, गुम हो जाना

221 2121 1221 212 मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन ------------------------------------- आसूदगी= सुकून, इतमिनान, ख़ुशी आतिश-ए-सय्याल= लावा तिश्ना= प्यासे अम्बर= आसमान तारीक= अंधेरा हो जाना, गुम हो जाना #ghazal #yqbaba #yqdidi #urdupoetry #yqbhaijan #ownthought #vaseemakhthar