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पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहा

पर ना जाने..

मैं लिखा करती थी मुझे
अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ
निकलना चाहती हूँ भवंड़र से
पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ

रुठ गई है कलम मुझसे
दवा कोई कराओ ना
दिल नही मानता आसानी से
आकर कोई मनाओ ना
जिद कर बैठा है मन
करके मन्नते मैं हार गई हूँ
निकलना चाहती हूँ भवंड़र से
पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ

जानती हूँ ये ठिक नही है
हो जो रहा है मुझसे
कौन मेरा यहाँ अपना है
जो बताऊं सब उससे
आता नही कोई थामने 
पुकार कर मैं थम गई हूँ...
निकलना चाहती हूँ भवंड़र से
पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ.....

मी माझी.....

©Sangeeta Kalbhor
  #Preying पर ना जाने..

मैं लिखा करती थी मुझे
अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ
निकलना चाहती हूँ भवंड़र से
पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ

रुठ गई है कलम मुझसे

#Preying पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है कलम मुझसे #शायरी

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