लिखता हूं तो कुछ तो गज़ल सा बन जाता है ।। सोचता हूं जिंदगी को तो , लफ्ज़ो का शक़्ल सा बन जाता है, मेरे लेखन ने मुझको शायर बना दिया है ।। वरना मैं जानता हूं लिखता तो हूं कविता,, लेक़िन जब भी होता हूं महफ़िल में, मेरी हर कविता एक नज़्म सा बन जाता है ।। ©nita kumari #Gulzar #Like #Love #Gulzar