Nojoto: Largest Storytelling Platform

सुकून की तलाश में, रोज घर से निकल जाता हूं। पर पता

सुकून की तलाश में,
रोज घर से निकल जाता हूं।
पर पता नहीं क्यूं ,
घर लौट कर ही सच्चा सुकून पाता हूं।।
जब मां की डांट पड़ती हैं
बहनों की बांते सुनता हूं।
और जब मां के हाथ का
बना खाना खाता हूं,
सच्चा सुकून पाता हूं।। 
थका हारा जब पहुंचता हूं घर पर,
बिना कहे कोई पानी ले आता है,
कोई रसोईघर से चाय लता है।
पूरे दिन की थकान भूल जाता हूं,
सच्चा सुकून पाता हूं।।
खाने के बाद ,
और सोने से पहले,
घर में दौर बातों का शुरू होता है।
और मैं भी पूरे दिन का हाल सबको सुनाता हूं,
सच्चा सुकून पाता हूं।।
रात को सोते वक्त
सपनों का सिलसीला चलता है।
कोई सुन्दर सा सपना नींदों में मेरे उछलता है,
उन्ही सुनहरे सपनों में
मैं अपना सुन्दर संसार सजाता हूं,
सच्चा सुकून पाता हूं।।
सुबह में किरणों को देखता हूं
सूरज से अटखेलियां करता।
और किसी चिड़ियां को चोंच में दाना भरता,
उस क्षण मैं पल भर को मुस्कुराता हूं,
सच्चा सुकून पाता हूं।। by sk✍️

©Suresh Dabi
  सच्चा सुकून #Saccha #sukun #Love #Life #maa
sureshdabi5825

Suresh Dabi

New Creator

सच्चा सुकून #Saccha #sukun Love Life #maa #कविता

292 Views