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गुरु के चरणों में अपनी छोटी कविता रखता हूँ, आज के

गुरु के चरणों में अपनी छोटी कविता रखता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।

मात-पिता ने नाम दिया तो गुरु ने ज्ञान दिया है,
जीवन को इन तीनों स्तंभो ने मज़बूत किया है।।
गुरुओं ने सिखलाया हमको दुनिया में टिक पाना,
सब सपनों को गुरु की मेहनत ने अंजाम दिया है।।
समझो इनकी पावन वाणी, यही विनत करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

सोच अगर की ये न होते तो तेरा क्या होता,
सारी उम्र कपाल पकड़ कर, किस्मत पर तू रोता।।
समय के रहते गुरु की कीमत जो पहचानी होती,
अपनी भी पहचान बनाता, नाम कमाया होता।।
अपने ऐसे जीवन के, अहसास से भी डरता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

एक नहीं, दो-चार नहीं, अनगिन एहसान किये हैं,
जीवन थी इक काली रैना, प्रज्वलित दीप किये हैं।।
हिसाब इन एहसानों का अब तक ना कर पाया हूँ मैं,
फिर भी जो कुछ भाव थे दिल के, वो लयबद्ध किये हैं।।
आदर, इज़्ज़त और प्यार, सब कुछ अर्पित करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

आओ हम संकल्पित होकर मान बढ़ायें इनका,
भगवन से भी ऊपर जीवन में स्थान है जिनका।।
इनके हर इक अक्षर में बस निहित भला है अपना,
नहीं सुनोगे, उजड़ जाओगे, नहीं बचेगा तिनका।।
इस पावन मूर्ति का मैं, शत-शत वंदन करता हूँ,
आज की इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।। तस्मै श्री गुरुवे नमः।।।
#psr #prashant #happyteachersday
गुरु के चरणों में अपनी छोटी कविता रखता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।

मात-पिता ने नाम दिया तो गुरु ने ज्ञान दिया है,
जीवन को इन तीनों स्तंभो ने मज़बूत किया है।।
गुरुओं ने सिखलाया हमको दुनिया में टिक पाना,
सब सपनों को गुरु की मेहनत ने अंजाम दिया है।।
समझो इनकी पावन वाणी, यही विनत करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

सोच अगर की ये न होते तो तेरा क्या होता,
सारी उम्र कपाल पकड़ कर, किस्मत पर तू रोता।।
समय के रहते गुरु की कीमत जो पहचानी होती,
अपनी भी पहचान बनाता, नाम कमाया होता।।
अपने ऐसे जीवन के, अहसास से भी डरता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

एक नहीं, दो-चार नहीं, अनगिन एहसान किये हैं,
जीवन थी इक काली रैना, प्रज्वलित दीप किये हैं।।
हिसाब इन एहसानों का अब तक ना कर पाया हूँ मैं,
फिर भी जो कुछ भाव थे दिल के, वो लयबद्ध किये हैं।।
आदर, इज़्ज़त और प्यार, सब कुछ अर्पित करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

आओ हम संकल्पित होकर मान बढ़ायें इनका,
भगवन से भी ऊपर जीवन में स्थान है जिनका।।
इनके हर इक अक्षर में बस निहित भला है अपना,
नहीं सुनोगे, उजड़ जाओगे, नहीं बचेगा तिनका।।
इस पावन मूर्ति का मैं, शत-शत वंदन करता हूँ,
आज की इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।। तस्मै श्री गुरुवे नमः।।।
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