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असली भारत गाँव में बसता हम हैं असली भारतवासी, अस

असली भारत गाँव में बसता

हम  हैं असली भारतवासी, असली भारत जीते हैं ।

हम देहाती पर पढ़े लिखे, तुम जैसा पढ़ा गँवार ना बनते हैं ।।

हम तुम जैसे चालाक नहीं, हाँ मस्ती में चुतियापा थोड़ी करते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, सीने में भारत रखते हैं ।।

संस्कार भी है सम्मान भी है, पर अनादर तुम जैसा हम नहीं करते हैं ।।

तुम जैसी अंग्रेजी तेज नहीं, पर अंगरेजी हम भी बोलते हैं ।

तुम जैसा कड़वा बोल नहीं, हम मीठी हिन्दी बोलते हैं ।।

हम हाय हेलो से काम ना लेते, हम झुककर प्रणाम कर लेते हैं ।

चौपसी पिज्जा के मोहताज नहीं, हम चूरा मटर खा लेते हैं ।।

हम ग्रीन टी काफ़ी से बढ़कर, गुड़ का काढ़ा पीते हैं ।

हम कोक पेप्सी की ना चाहत रखते, मंठा लस्सी पी लेते हैं ।।

बियर काकटेल का शौक नहीं, गन्ने के रस को पीकर हीं झूम लेते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, असली भारत जीते हैं ।।

हम मम्मी डैडी कभी ना कहते, माई बाबू कहते हैं ।

हमको जिम की चाह नहीं, हम पसीने खेत में हीं बहा लेते हैं ।।

हमें स्वीमिंग पूल जरा न भाता, हम पोखर छलांग मार लेते हैं ।


हम टाइगर टाम ना कुत्ता पालें, हम शेरू शेरा बैल पाले हैं ।।

हमको थियेटर माॅल का शौक नहीं,  हम बगीचे बकैती करते हैं ।

हमें डीजे पर है डान्स न आता, हम ढोलक पर हीं नाच लेते हैं ।।

हमको रजनीगंधा विमल ना भावे, हम खैनी खाकर गरिया लेते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, सीने में भारत रखते हैं ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी असली भारत गाँव में बसता
असली भारत गाँव में बसता

हम  हैं असली भारतवासी, असली भारत जीते हैं ।

हम देहाती पर पढ़े लिखे, तुम जैसा पढ़ा गँवार ना बनते हैं ।।

हम तुम जैसे चालाक नहीं, हाँ मस्ती में चुतियापा थोड़ी करते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, सीने में भारत रखते हैं ।।

संस्कार भी है सम्मान भी है, पर अनादर तुम जैसा हम नहीं करते हैं ।।

तुम जैसी अंग्रेजी तेज नहीं, पर अंगरेजी हम भी बोलते हैं ।

तुम जैसा कड़वा बोल नहीं, हम मीठी हिन्दी बोलते हैं ।।

हम हाय हेलो से काम ना लेते, हम झुककर प्रणाम कर लेते हैं ।

चौपसी पिज्जा के मोहताज नहीं, हम चूरा मटर खा लेते हैं ।।

हम ग्रीन टी काफ़ी से बढ़कर, गुड़ का काढ़ा पीते हैं ।

हम कोक पेप्सी की ना चाहत रखते, मंठा लस्सी पी लेते हैं ।।

बियर काकटेल का शौक नहीं, गन्ने के रस को पीकर हीं झूम लेते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, असली भारत जीते हैं ।।

हम मम्मी डैडी कभी ना कहते, माई बाबू कहते हैं ।

हमको जिम की चाह नहीं, हम पसीने खेत में हीं बहा लेते हैं ।।

हमें स्वीमिंग पूल जरा न भाता, हम पोखर छलांग मार लेते हैं ।


हम टाइगर टाम ना कुत्ता पालें, हम शेरू शेरा बैल पाले हैं ।।

हमको थियेटर माॅल का शौक नहीं,  हम बगीचे बकैती करते हैं ।

हमें डीजे पर है डान्स न आता, हम ढोलक पर हीं नाच लेते हैं ।।

हमको रजनीगंधा विमल ना भावे, हम खैनी खाकर गरिया लेते हैं ।

हम हैं असली भारतवासी, सीने में भारत रखते हैं ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी असली भारत गाँव में बसता
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