है ये कहानी प्यारी सी सुहानी, सबके जीवन की, उदय दुलारी नेह सुनाएगी, शैतानियाँ बचपन की। वो खिलखिलाकर हँसना, कभी छुपना व छुपाना, कभी जिद से पाना तो मुस्कान से अपना बनाना। ना कल की चिन्ता, ना आज के ग़म का फसाना, सबसे प्रेम करना, था सबसे मिलना और मिलाना। गुड्डा और गुडियों संग खेलना,मिट्टी के घर बनाना, बड़ा ही खूबसूरत था, हँसी खुशी का पल सुहाना। दादी से सुनना कहानियाँ,और अपनी बात बताना, बारिश में कागज़ की नाव को बना फ़िर चलाना। गुड़ियों का ब्याह करना,बन करके बाराती नाचना, डीजे की धुन पर, दोस्तों के संग गाना व बजाना। ना किसी की बात सुनना, बस अपनी बात सुनाना, करके गलतियाँ, फ़िर माँ पापा से उसको छुपाना। प्यार भरा किस्सा, है ये सबके जीवन का हिस्सा, इस पड़ाव से ही गुजरकर, करता है तब तपस्या। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।