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Krish Vj
"मासूमियत" की अदाओं का ख़ज़ाना बचपन अनगिनत नयी 'चाहत' का अम्बार हैं बचपन मासूम शरारतें, "प्यार और सुकून" हैं बचपन माँ को सताना और सता कर हँसाता बचपन मासूम लड़ना-झगड़ना,"खेल" खेलता बचपन अनगिनत ख़्वाहिशे, ना पाकर के रोता बचपन अटपटे प्रश्न, उत्तर जान ने की शीघ्रता बचपन प्रश्न और उत्तर में मासूमियत खोजता बचपन दादा-दादी,नाना-नानी का फ़िर लौटता बचपन हिस्सेदार शरारतों में वो खिलखिलाता बचपन नादानी की आदतें,मस्ती की पाठशाला बचपन छल, कपट, नफ़रत,दर्द से हैं कोसों दूर बचपन ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Sweta
_________________________________ शौतानियाँ बचपन की हमने कभी किया कहाँ बेबसी और लाचारी हमने जिन्दगी जिया कहाँ दर्द अस्कों के मेले थे खुशियों को पिया कहाँ वो खाली-खाली झूले थे हमने कभी झुला कहाँ वो मेले तमाशे गुब्बारे पानी पूरी के ठेले तुम भी जाओंगी क्या पापा ने कभी पूछाँ कहाँ वो पंछियों को उपर आसमाँ में झूमते-गाते एक कमरे में बंद पंछी खुद को उड़ते देखा कहाँ चुप चाप तन्हाइयों में रहना ना थी किसी से यारी दोस्ती ,कभी किसी ने दोस्त बनाया कहाँ बचपन में जब जी चाहा खुल कर रो लेते थे अब नहीं होता, बरसों से दामन भिगोया कहाँ ।।। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
राjN
"नादान है अभी" छोड़ दिया जाता था शैतानियां जवानी की "नालायक लफंगा है" बदनाम कर दिया जाता है ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
jagruti vagh
वो बचपन की शैतानियों के किस्से आज है मैंने सुनाना वो मिट्टी में खेलकर पूरा शरीर और बाल मिट्टी से भर जाना वो गुस्सैल पड़ोसी अंकल की साईकिल की हवा निकालना बार बार उनके घर की डोरबेल बजाकर जल्दी वहाँ से भागना वो खाना नही खाने की जिद्द पर माँ को मोहल्ले में अपने पीछे दौड़ाना वो पापा से स्कूल ना जाने के लिए सिर और पेट में दर्द का बहाना वो साड़ी पहनकर मस्त सी हाथ में पर्स लेकर सहेलियों के साथ घूमना और दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते वक्त खिड़कियों के कांच तोड़ना छोटे होने के बहाने बड़ों से अपनी बातें हमेशा मनवाना वो गुड्डी के बाल खाने के लिए मम्मी-पापा से जिद्द करना वो आम खाने के लिए आम के पेड़ पर चढकर आम तोड़ना बाग के मालिक को देखकर फटाफट से अपनी साईकिल भगाना बचपन के किस्से लिखते-लिखते तो मैंने बहुत सी किताबे है लिख जाना गर इससे आगे मैंने कुछ लिखा ना तो शायद किसी ने मुझपे पुलिस केस है लगवाना Abhi bhi bachhi hi hu par thodhi samajdaar hu😂aur jab tak 18 ki na ho jau tab tak rahugi😂 Bas fark itna hai bachpan me log mere gaal khinchte the ab kaan khinchte hai😂😛😝 Btw abhi bhi ye shaitaniya karti hu par thodhi kam😂😝😛 ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
Ish Kumar King
याद आती हैं रवनियाँ बचपन की फटकार नानी की, शैतानियां बचपन की वो पतली सी डगर, वो लंबी सी नहर वो बागीचों की हवा, वो मस्ती की लहर भूले नहीं भुलातीं, कहानियां बचपन की वो कुटाई बाबू की, शैतानियां बचपन की। वो गन्ने की मिठास, वो चिरकुटई का अंदाज वो पतंगबाज़ी के दौर, गगन चूमने का प्रयास। भूले नही भुलातीं, कहानियां बचपन कीं वो भुट्टे की चोरी, शैतानियां बचपन की ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Prerit Modi सफ़र
शैतानियाँ बचपन की वो शोखियाँ बचपन की क्या याद है तुम्हे वो नादानियाँ बचपन की न था कोई ग़म का स्वाद, न थी कोई चिंता मौज थी हर दम ख़ूब थी रानाइयाँ बचपन की कागज़ की वो कश्ती और बारिश का पानी खिलौनों में बसती थी आशनाईयाँ बचपन की रूठना था घड़ी घड़ी, ज़िद थी हर बात की नहीं भूलूँगा मैं वो मनमर्ज़ीयाँ बचपन की 'सफ़र' न हो पत्थर दिल इस संगदिल दुन्या में करले दोबारा थोड़ी सी, वो शैतानियाँ बचपन की रानाइयाँ- चमक, खूबसूरती आशनाईयाँ- प्रेम, लगाओ, संगदिल- अत्याचारी ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
नेहा उदय भान गुप्ता
है ये कहानी प्यारी सी सुहानी, सबके जीवन की, उदय दुलारी नेह सुनाएगी, शैतानियाँ बचपन की। वो खिलखिलाकर हँसना, कभी छुपना व छुपाना, कभी जिद से पाना तो मुस्कान से अपना बनाना। ना कल की चिन्ता, ना आज के ग़म का फसाना, सबसे प्रेम करना, था सबसे मिलना और मिलाना। गुड्डा और गुडियों संग खेलना,मिट्टी के घर बनाना, बड़ा ही खूबसूरत था, हँसी खुशी का पल सुहाना। दादी से सुनना कहानियाँ,और अपनी बात बताना, बारिश में कागज़ की नाव को बना फ़िर चलाना। गुड़ियों का ब्याह करना,बन करके बाराती नाचना, डीजे की धुन पर, दोस्तों के संग गाना व बजाना। ना किसी की बात सुनना, बस अपनी बात सुनाना, करके गलतियाँ, फ़िर माँ पापा से उसको छुपाना। प्यार भरा किस्सा, है ये सबके जीवन का हिस्सा, इस पड़ाव से ही गुजरकर, करता है तब तपस्या। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
अभिलाष सोनी
छोटी-छोटी बातों पे लड़ना-झगड़ना। क्या खूब थीं वो, शैतानियाँ बचपन की। खुद से ही रूठना, खुद को ही मनाना। ऐसी थीं वो, मनमानियाँ बचपन की। हर बात ज़ेहन में आ जाती हैं जब, याद आती हैं निशानियाँ बचपन की। दोस्त की चीज़ पे अपना हक़ ज़माना। ऐसी थीं वो, नादानियाँ बचपन की। आज भी मन रुआँसा हो जाता है जब, याद आती हैं कहानियाँ बचपन की। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
DR. SANJU TRIPATHI
शैतानियांँ बचपन की आज भी करने को तरसता है दिल, एक बार फिर से वही जिंदगी जीने को मचलता है दिल। बारिश में भीगना भीग करके फिर नहाना याद करता है दिल, कागज की कश्ती बारिश के पानी में बहाना चाहता है दिल। भरी दोपहर में बागों में जाकर आम चुराना याद करता है दिल, वो गिल्ली डंडा, पकड़म पकड़ाई फिर खेलना चाहता है दिल। टिफिन छोड़कर कैंटीन के समोसे खाना चाहता है ये दिल, दोस्तों संग मिलकर फिर वही शैतानियांँ करना चाहता है दिल। पेट दर्द का बहाना बना स्कूल से बंक मारना चाहता है ये दिल। जिम्मेदारियों के बोझ से परे बेफिक्री की जिंदगी चाहता है ये दिल। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
है ये कहानी प्यारी सी सुहानी, सबके जीवन की, उदय दुलारी नेह सुनाएगी, शैतानियाँ बचपन की। वो खिलखिलाकर हँसना, कभी छुपना व छुपाना, कभी जिद से पाना तो मुस्कान से अपना बनाना। ना कल की चिन्ता, ना आज के ग़म का फसाना, सबसे प्रेम करना, था सबसे मिलना और मिलाना। गुड्डा और गुडियों संग खेलना,मिट्टी के घर बनाना, बड़ा ही खूबसूरत था, हँसी खुशी का पल सुहाना। दादी से सुनना कहानियाँ,और अपनी बात बताना, बारिश में कागज़ की नाव को बना फ़िर चलाना। गुड़ियों का ब्याह करना,बन करके बाराती नाचना, डीजे की धुन पर, दोस्तों के संग गाना व बजाना। ना किसी की बात सुनना, बस अपनी बात सुनाना, करके गलतियाँ, फ़िर माँ पापा से उसको छुपाना। प्यार भरा किस्सा, है ये सबके जीवन का हिस्सा, इस पड़ाव से ही गुजरकर, करता है तब तपस्या। ♥️ Challenge-594 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।