इन राहों का किन्हें पता कि, कब वह मंजिल-ए-मकसूद पहुंचा जाए। किन्हें पता यहां बदलते लोगों का कि, कब पल भर में यह हमें बेगाने बना जाए।। इन अंधेरी राहों का किन्हें पता कि, कब वह हमें चराग़-ए-रोशन दिखा जाए। बदलते जमानों का किन्हें पता कि, कब यह हमें ख़ाक-ए-फ़ानी कर आए।। ©R...Khan #राहों#का#किन्हें#पता #MereKhayaal Saurav Das Rudra varshney ⚕️ sAtYaM