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वक़्त नही है... बहुत करीब थी मेरी, मगर दुरियों न

वक़्त नही है... 

बहुत करीब थी मेरी, मगर दुरियों ने साथ निभाया, 
हाल- ए- दिल तेरा मुझे तेरे अपनों ने बताया, 
इश्क़ के नाम पे इस दुनिया ने खूब सताया, 
मगर अब इसके लिए वक़्त नही है... 
नही है वक़्त की अपनी धड़कनों की धुन बनाऊँ, 
अपने फन्ना होने की आरजू सच करके दिखाऊँ, 
तेरी किसी खुशी के लिए जीते- जी मर जाऊँ, 
अपनी मैयत सजाने के लिए भी शायद, 
अब वक़्त नही है।।

©Guddu Gautam
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