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मैं कब से हार बैठा हूँ सबकुछ तेरे इश्क़ में, और म

मैं कब से हार बैठा हूँ सबकुछ तेरे इश्क़ में, 
और मेरा हाल देख तुझे तरस नहीं आता है।। 
मैं कोई जौहरी नहीं हूँ की पहचान सकूँ सबको, 
मुझे काँच और हीरे मे करना फरक नहीं आता है।।

©BADNAM SHAYAR K ALFAZ
  #Exploration Mai kab se haar ke baitha hun...

#Exploration Mai kab se haar ke baitha hun... #शायरी

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