हारे हम अपनो से छुपते फिरते रहे बंदिशें वो ओर भी ज्यादा लगाते रहे बोहत कुछ कहना था उनसे हमने उनकी बातें ना खत्म हुई औरों से आवाज़ हमारी वो ज्यूँ दबाते रहे मिलना चाहते है वही हाथ मुझ से जो उंगलियां हम पर वो उठाते रहे जलीली कर मुझे भरी महफ़िल में मुस्कुरा कर मज़ाक हमें समझते रहे छुपते फिरते रहे #छुपतेरहे #collab #yqdidi #yourquoteandmine Collaborating with YourQuote Didi #terasukhiquotes #शायरी #बंदिशें #yqpoetry