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मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं शायद तेरी

मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरी कल्पनाओं
की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरुँगी
या तेरे केनवास पर
एक रहस्यमयी लकीर बन
ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं।

- अमृता प्रीतम

©पाण्डेय ख़ुशबू
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