तेरा यूँ मेरी जिंदगी में आना, आकर दिल में बस जाना, आँखों में मेरी सपने सजाना, और फिर अचानक यूँ चले जाना, मानो कभी आयी ही ना थीं, ना दिल कुछ समझ पाया, ना आँखें कुछ देख पायीं, आज तक ये सदमा मुझे जीने नहीं देता, गर तुम थीं तो अब कहाँ हो, गर नहीं थीं तो वो ख्वाब, किसने दिखाये आँखों मे, वो दिल में कौन था, जो अब नहीं है।। #अंकित सारस्वत# #हादसा