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तितली सी उड़ी चली आती है मेरे ही सपनों में, ख्वाबो

तितली सी उड़ी चली आती है मेरे ही सपनों में,
ख्वाबों की मंजिल ही बनी रहती है सोते सपनों में!
दूर न जाना अब तुम मेरे ही सुनहरे सपनों से,
जिंदगी ही बदल दी तुमने मेरी  वक्त पर आ के सपनों में!!
डीयर आर एस आज़ाद...

©Ramkishor Azad
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