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शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा

शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है,
पहले गलियों, चौबारों, नुक्कड़ों पर मिल, हाल-चाल हुआ करता था,,अब तो फोन से बात हो जाया करती है।
शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है।

पहले किसी भी उत्सव के निमंत्रण पत्र लोग स्वयं देने जाते थे,,,अब फोन,ई-मेल, फैक्स से काम चला लेते हैं।
अब तो मरने पर,,शोक संदेश, और संतावना भी फोन से 
ही, देने लगे हैं।
शहरों की चका चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है।

पहले मनोरंजन के लिए मैदानों की होती थी तलाश,
जनाब,,अब पैदा हुए बच्चे से लेकर किशोर,युवा और
 वृद्ध भी स्मार्टफोन से मन बहलाने लगे।
शहरों की चका-चौंद में... दिलों से अपनापन खोने लगा है।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻

©Ashutosh Mishra #शहरों की चका-चौंद में... NojotoHindi NojotoEnglish Nojotothought Nojotopoetry Vandana Mishra ANOOP PANDEY M. Acharya Jagrati Nagle Sujata jha

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