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ANUBHAWA KUMAR

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Ayesha Aarya Singh

#City #शहरों के हाल बदलते हैं लोगों के चाल बदलते हैं #वक्त-वक्त खेल है साहेब, यूँ तो कितने भी अच्छे,सरकार बदलते हैं #NojotoStreak #Ayesha shayari #quoites #Change R Ojha R K Mishra " सूर्य " pramodini mohapatra #शुन्य राणा Jugal Kisओर B Ravan Sethi Ji Prashant Shakun "कातिब" pooja mourya Lalit Saxena

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Faniyal

#शहरों की चकाचोउंद्ध में.... #शायरी

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kavya soni

#शहरों _की _चका _चौंध _ में #कविता

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Ashutosh Mishra

#शहरों की चका-चौंद में... NojotoHindi NojotoEnglish Nojotothought Nojotopoetry Vandana Mishra ANOOP PANDEY M. Acharya Jagrati Nagle Sujata jha

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आलोक जी

#शहरों कि चक्का - चौंढ hari patil हिंदू रंजीत कुमार Bullet Raja Mk Dubey Durgesh nandani Reenu Sharma #Life

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Ek villain

#शहरों का संग्रह विकास आवश्यक है #alone #Society

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कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान शहरी विकास का उल्लेख करते हुए कहा था कि अगले 25 वर्ष के वेतन के साथ शहरी विकास के रोडमैप पर कार्य करने की आवश्यकता है वास्तव में बेतरतीब से बसें और बेहिसाब ढंग से फैल रहे हमारे शहर के संदर्भ में उन्होंने टिप्पणियों के गहरे नहीं-नहीं अर्थ भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% हिस्सा शहर में बसता है देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में उनका करीब 63% योगदान है अनुमान है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्र में भारत की आबादी का 40% हिस्सा बात करेगा और जीडीपी में उसका योगदान 75% तक पहुंच जाएगा इसलिए शहर विकसित के लिए अलग 25 वर्ष का रोडमैप तैयार करना महत्वपूर्ण है लेकिन इस राह में कई चुनौतियां भी हैं देश की आर्थिक गतिविधियों में शहर के योगदान देखते हुए इस कार्य में जितनी देरी होगी उतना ही देश को नुकसान होगा

©Ek villain #शहरों का संग्रह विकास आवश्यक है

#alone

@ArYa

शोर हमेशा तो कभी शांति भी होती है़,
सूखे सड़को पे कभी बरसातें भी होतीं हैं,
ये गलियाँ भी सुनसान, लोग सोते यहाँ भी हैं,
चकाचौंध ही सही पर रात यहाँ भी होतीं हैं 
रात यहाँ भी होतीं हैं॥

#शहरों में रात

©@Rya #City

Ek villain

#शहरों की दिशा सुधारने का समय #Hope #Society

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इस महीने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं अगले दौर के चुनाव के बीच कुछ अंतराल है ऐसे में यह सबसे अनुकूल समय है कि गुड गवर्नेंस यानी सुशासन में मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए तू शासन प्रणाली में भारत के परिजन को आरंभ आज करता है परंतु वास्तव में वह सभी राज्य का विश्वास में संघ राज्यों के संग में केंद्र सरकार राज्य की सरकारों से कहीं अधिक शक्तिशाली है सार्वजनिक प्रशासनिक बिंदुओं से ही यह पोस्ट होता हो तो परंतु जब हम जीवन की गुणवत्ता से जुड़े हुए कई मानकों दृष्टि डालते हैं तो उनमें राज्य सरकार के अधिक प्रभावित दिखाई देते हैं अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं वह जनता ने सरकार को इस पर दनादन के साथ सुना है उनके पास एक ऐसा मंच है जहां से वह लंबित समस्याओं का समाधान करें ऐसे तमाम समस्या समर्थन की बाट जोह रहे हैं इसमें से एक समस्या लंबे समय से प्रतीक्षित है जो हमारी शहरी व्यवस्था उसके समग्र ढांचे और नागरिक को तरस किया हुआ है प्रिय परेशानी स्थानीय निकाय प्रशासन से जुड़ी हुई है मार्च में अत्यंत खबर स्थिति हमारे आर्थिक प्रगति को जलाती दिखाती है यह हमारे स्वस्थ जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष सहित है यहां वह गंदगी और कचरे का ढेर देखना आम है कचरा उठाना उसे विकृति अलग ही करना उसके नियंत्रण का स्तर बहुत लाचार है स्विच ऑन वेन इस सिस्टम बाबा आदम के जमाने के हैं खुले नाले निर्मलता अनमोल जीवन को दिला रहे हैं अतिक्रमण बेलगाम है फुटपाथ गायब हो रहे हैं अक्सर दूसरे मानसून का मुंह नहीं दे पाती

©Ek villain #शहरों की दिशा सुधारने का समय

#Hope

shivraj singh7

#शहरों में समाया गांव#

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💫शहरों में समाया गांव 💫

शुद्ध हवा, जल, थल को छोड़,
शहरों में समाया गांव।
कोई बसने चला शहरों में,
तो कोई करने चला पेटो का उपाय।
जो कल तक प्यारी लगती,
अब उनको लगे है काटो भाय।
मै नहीं कहता तुम शहर न जावो,
कभी लौट कर वापस तो आवो।
गांव के दर्द को तुम क्या जानो,
वो रोती, बिलखती रहती है।
बच्चों से अलग होकर कोई मा,
चैन से कहा वो सोती है।
जो कल तक हरी भरी दिखती थी,
अब सुखी- सुखी सी रहती है।
जो रहती थी हरपल खुशियों से,
अब बातो- बातो में रोती है।
शहरों में भटकता अपनों को देख,
ये दर्द की आहे भर्ती है।
गांव की पुलिया, बागीचा अब,
सपनो में अपनों के रहती है।
जो चले गए शहरों में रहने,
उनको याद करके रोती है।
इससे पूछो इसके दिल का हाल,
ये घुट- घुट कर हरपल जीती  है।

शिवराज सिंह
चकिया (बलिया) #शहरों में समाया गांव#
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