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ये जो नफ़रत में तकल्लूफ कि दुहाई हुई है इसमें खुदग

ये जो नफ़रत में तकल्लूफ कि दुहाई हुई है
इसमें खुदगर्जी कि मुहब्बत सी दिखाई  दी है
ये जो..........।।।।।
वो जो कहते थे सरे राह फिज़ा- ए -हिना सजाएंगे
उनकी नजरों ने इज्तिराबियत बसाई हुई है 
ये जो..........।।।।।
कल भी लूटी थी,अब भी लुटती,फिज़ा की महक
इब्रतों में इब्तिलाइयत बेखौफ सी दिखाई हुई है
ये जो..........।।।।।
इंतिहा हो गई यारों यहां उकूबतों कि
इन चरागों से हवाओं कि हैवानियत घबराई हुई है
राजीव

इज्तिराब -अशांति
इब्तिला -दुर्भाग्य
उकूबत -अत्याचार

©samandar Speaks
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